12+ वाराणसी में घूमने की जगह, काशी विश्वनाथ के दर्शन के साथ प्रसिद्ध घाट
महादेव की नगरी वाराणसी भारत में उत्तर प्रदेश राज्य का प्रमुख धार्मिक शहर है। वाराणसी गंगा नदी के किनारे स्थित हिंदुओं का सबसे प्रमुख और पवित्र पूजनीय तीर्थ स्थल माना जाता है। भोले की नगरी वाराणसी में भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है जहां काशी विश्वनाथ का प्रसिद्ध मंदिर है। शास्त्रों के अनुसार वाराणसी को सबसे पवित्र धार्मिक स्थलों में गिना जाता है जहां हिंदू धर्म के लोग मोक्ष प्राप्ति के लिए तीर्थ यात्रा करने आते हैं और पवित्र गंगा मईया में डुबकी लगाकर अपने पापों से मुक्त होने की कामना करते है। वाराणसी को काशी के नाम से भी जाना जाता है लेख में आपको बताएंगे कि वाराणसी में घूमने की जगह (Varanasi Me Ghumne Ki Jagah) कौन-कौन सी हैं।
वाराणसी शहर अपने आप में एक बहुत ही प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों के साथ-साथ पर्यटन स्थलों के लिए जाना जाता है। भारत में संस्कृति शहर के रूप में गौरांवित वाराणसी अपने उद्भव काल से ही आध्यात्मिक, दर्शन, साहित्या, कला, सभ्यता और संगीत का अनूठा केंद्र रहा है।
वाराणसी शहर दुनियां के सबसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में गिना जाता है जहां देश से ही नही बल्कि विदेशों से भी भारी संख्या में पर्यटक और श्रद्धालु भ्रमण और दर्शन करने के लिए आते है और काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन करके अपनी मनोकामना पूर्ण होने की अर्जी लगाते हैं। कहते हैं वाराणसी की गली गली में भोलेनाथ निवास करते हैं।
वाराणसी के धार्मिक स्थलों का भ्रमण करने के बाद मन को शांति की अनुभूति होती है। लोगों की मान्यता है की वाराणसी की तीर्थ यात्रा करने के बाद जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। वाराणसी में घूमने के लिए मंदिर, पवित्र घाट, प्राचीन किला और अनेकों दर्शनीय स्थलों की भरमार है।
वाराणसी में घूमने की जगह | Varanasi Me Ghumne Ki Jagah
वाराणसी शहर के बारे में जानकारी
वाराणसी का इतिहास कई हज़ार साल पुराना माना जाता है। वाराणसी को बनारस या काशी के नाम से भी जाना जाता है जो की हिंदुओं के लिए एक पवित्र और खास धार्मिक स्थलों में से एक है। बहुत से लोग घूमने के साथ-साथ मुक्ति और शुद्धिकरण के लिए जाते है।
रामायण और वेद ग्रंथो में वाराणसी का उल्लेख मिलता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा माना जाता है की वाराणसी में जाने से मनुष्य पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति पा लेता है और मृत्यु के बाद आत्मा का मिलन परमात्मा से हो जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जो मनुष्य वाराणसी में आखिरी सांस लेता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
वाराणसी अपने धार्मिक, सांस्कृतिक और ढेर सारे मंदिरों और घाट के लिए जाना जाता है जिनकी बनावट और वास्तुकला अद्वितीय है। बनारस का नाम दो नदियों से लिया गया है। उत्तर में बहने वाली वरुणा और दक्षिण में आसी नदी के नाम के संयोजन से बना वाराणसी प्रचलित हुआ।
काशी नगरी को स्वयं भगवान शिव ने स्थापित किया था। वाराणसी में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) और संस्कृत विश्वविद्यालय के लिए भी प्रसिद्ध है। काशी में कुल 84 घाट बने हुए हैं।
बनारस अपने बनारसी साड़ी, पवित्र गंगा नदी के किनारे बने घाटों और खाए जाने वाले बनारसी पान के लिए पूरे भारत में प्रसिद्ध है।
1. काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी - Kashi Vishwanath Temple Varanasi
वाराणसी में स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर सबसे प्रसिद्ध और प्रमुख धार्मिक स्थल के रूप में जाना जाता है। काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास तीन हजार साल से भी अधिक पुराना है। भगवान विश्वनाथ को विश्ववेश्वर नाम से भी जाना जाता है जिसका अर्थ होता है सम्पूर्ण ब्रम्हांड का शासक यह मंदिर गंगा नदी के किनारे स्थित है। काशी विश्वनाथ मंदिर शंकर भगवान को समर्पित 12 ज्योतिर्लिंग में से एक प्रसिद्ध मंदिर है।
मंदिर में दर्शन करने पर फ़ोटो खींचना वर्जित है साथ ही दर्शन करने पर मोबाइल, कैमरा और अन्य इलेक्ट्रोनिक गैजेट्स ले जाने की अनुमति नहीं है। मंदिर की मीनार पर 8 कुंतल का सोना चढ़ा हुआ है। मंदिर के परिसर में एक कुआ है जिसे ज्ञान वापी और ज्ञान कुआं कहा जाता है जहा पर केवल हिंदुओं को जाने की अनुमति है। इस मंदिर के समीप और बहुत छोटे मंदिर है। जैसे काल भैरव, विनायक और विरु पाख गौरी आदि। काशी विश्वनाथ मंदिर में रोजाना लाखों की संख्या में भक्त दर्शन करने के लिए आते हैं।
2. दशाश्वमेध घाट वाराणसी (Dashashwamedh Ghat)
वाराणसी में घूमने के लिए दशाश्वमेध घाट एक बहुत ही पवित्र स्थल है। यह गंगा नदी के किनारे स्थित बहुत प्रसिद्ध मुख्य घाट है। दशाश्वमेध घाट की धार्मिक दृष्टी से पवित्र घाट है। पौराणिक ग्रंथों के आधार पर कहा जाता है कि इस घाट पर भगवान ब्रह्मा ने दसा अश्वमेध यज्ञ किया था। वाराणसी में तीर्थयात्रा में आने वाले लोगो की पहली प्राथमिकता दशाश्वमेध घाट में जाकर स्नान करने की रहती है। दशाश्वमेध घाट पर शाम 7 बजे को होने वाली गंगा आरती बहुत ही दर्शनीय होती है। यह घाट पूरे 24 घंटे के लिए खुला रहता है।
3. अस्सी घाट (Assi Ghat Varanasi)
बनारस में घूमने की जगह में अस्सी घाट भी बहुत ही प्रसिद्ध घाट है। इस घाट पर एक पीपल का पेड़ है जहां पर भगवान शिवलिंग की पूजा की जाती है। यह बनारस रेलवे स्टेशन से महज 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। अस्सी घाट वह स्थान है जहा महान कवि गोस्वामी तुलसीदास जी का निधन हुआ था। अस्सी घाट अस्सी गंगा नदियों के संगम पर स्थित है। अमावस्या और पूर्णिमा को यह घाट श्रद्धालुओ से भर जाता है। लोग घाट में स्नान करके भगवान शिव को जल अर्पित करके आशीर्वाद प्राप्त होने की कामना करते हैं।
4. तुलसी मानस मंदिर (Tulasi Manas Mandir Varanasi)
तुलसी मानस मंदिर वाराणसी के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है। तुलसी मानस मंदिर का निर्माण 1964 में किया गया था। सफेद संगमरमर से निर्मित मंदिर भगवान राम को समर्पित है। मंदिर वाराणसी से 5 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। इस मंदिर को तुलसीदास के नाम से भी जाना जाता है। इसी मंदिर में महान कवि गोस्वामी तुलसीदास जी ने हिंदी भाषा की अवधी बोली में हिंदू महाकाव्य रामायण लिखा था।
मंदिर में सावन के महीने रामायण से संबंधित कठपुतलियों का प्रदर्शन किया जाता है। इसलिए सावन के महीने में इस मंदिर में जरूर दर्शन करने के लिए जाना चाहिए। इस मंदिर की दीवारों में रामायण से संबंधित कलाकृति की गई है। यह मंदिर 5 बजे से दोपहर 12 बजे और शाम को 4 बजे से 9 बजे तक खुला रहता है।
5. दुर्गा मंदिर वाराणसी (Durga Mata Temple)
दुर्गा मंदिर वाराणसी के धार्मिक स्थलों में से एक है। मंदिर के गर्भ गृह में दुर्गा माता की प्रतिमा स्थापित है। यह मंदिर अस्सी घाट के बिलकुल समीप स्थित है अस्सी घाट से 5 मिनट में पैदल जा सकते हैं। दुर्गा मंदिर का निर्माण 18वी शताब्दी में बंगाल की महारानी ने करवाया था यह मंदिर पूरे लाल रंग से रंगा गया है। मंदिर परिसर में आपको सैकड़ों की संख्या में बंदर दिख जायेंगे। इसीलिए इसे बंदर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर के समीप मां काली, मां सरस्वती और मां लक्ष्मी और भैरव नाथ की प्रतिमा स्थापित है।
6. सारनाथ मंदिर (Sarnath Temple)
सारनाथ प्रसिद्ध बौद्ध स्थलों में से एक है इस मंदिर को देखने के लिए हर रोज हजारों की संख्या में लोग जाते है। भारत का राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ यही से लिया गया है। सारनाथ मंदिर वाराणसी से महज 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
भगवान बुद्ध को जब बोधगया में ज्ञान प्राप्त हुआ था उसके बाद वह सारनाथ मंदिर में पहुंचे थे और उन्होंने अपना पहला उपदेश दिया था। सारनाथ मंदिर एक बहुत ही शांतिपूर्ण जगह है। जहा जाने पर मन को बेहद शांति मिलती है। मंदिर के पास धमेख स्तूप, थाई मंदिर, पुरातत्व संग्रहालय और कई मठ स्थित है।
7. मणिकर्णिका घाट वाराणसी (Mani Karmika Ghat Varanasi)
मणिकर्णिका घाट अंतिम संस्कार के लिए सबसे पवित्र माना जाता है। घाट में लोगों की अंतिम यात्रा के बाद अंतिम संस्कार के लिए लाया जाता है। कहा जाता है यह घाट अगले जीवन का प्रवेश द्वार है। मणिकर्णिका घाट वाराणसी से लगभग 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मणिकर्णिका घाट सप्ताह के सभी दिनों में खुला रहता है। मणिकर्णिका घाट को देखकर आपको अपने जीवन के असली उद्देश्य की अनुभूति होगी।
8. आलमगीर मस्जिद वाराणसी (Aalamgir Masjid)
मुगल वास्तुशैली में निर्मित आलमगीर मस्जिद का निर्माण औरंगजेब ने 17वी शताब्दी में करवाया था। इसीलिए इस मस्जिद को औरंगजेब की मस्जिद भी कहा जाता है। मस्जिद में केवल मुस्लिमों को जाने की अनुमति है। मंदिर वाराणसी मुख्य शहर से 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
9. वाराणसी सिल्क इंपोरियम (Silk Imporium)
बनारस नगरी हिंदू मंदिरो के लिए प्रसिद्ध है साथ ही बनारसी साड़ी के लिए भी प्रसिद्ध है। बनारसी साड़ी किसे नहीं पसंद है हर भारतीय नारी का सपना होता है की वह बनारसी साड़ी एक बार जरूर पहनें। अदभुत कारीगरी और उच्च कोटि के धागों से बनी बनारसी साड़ी भारत में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है।
सिल्क इंपोरियम में ही बनारसी साड़ी को बनाया जाता है। यदि आप वाराणसी घूमने जाएं तो सिल्क इंपोरियम जरूर घूमने जा सकते हैं। अगर आप साड़ी लेने की सोच रहें हैं तो यहां आपको उचित रेट में थोक या फुटकर साड़ी मिल जायेंगी।
10. चुनार का किला - Chunar Fort Varanasi
चुनार का किला वाराणसी में एक ऐतिहासिक किला है। यह किला जादुई किला के नाम से भी जाना जाता है। किले का निर्माण 11वी शताब्दी में करवाया गया था जो अपनी वास्तुकला के लिए बहुत प्रसिद्ध है। आज भी इस किले में बाबर के सैनिकों की कब्र मौजुद है यह बनारस शहर से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी में उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में स्थित है।
11. नेपाली मंदिर (Nepali Mandir Varanasi)
नेपाली मंदिर का निर्माण 19वी शताब्दी में करवाया गया था यह सबसे पुराना मंदिर भी है। नेपाली मंदिर भगवान शिव को समर्पित है इसका निर्माण नेपाल के राजा बहादुर शाह द्वारा करवाया गया था। इसलिए इस मंदिर का नाम नेपाली मंदिर पड़ा नेपाली मंदिर को टेराकोटा पत्थर और लकड़ी की नक्काशी द्वारा बनाया गया है। मंदिर देखने में बहुत ही भव्य लगता है।
12. रामनगर का किला (Ram Nagar Fort Varanasi)
रामनगर किला तुलसी घाट के सामने स्थित है। रामनगर किले का निर्माण 1750 में राजा बलवंत सिंह ने करवाया था। 1971 में सरकार ने अधिकारिक राजा का पद समाप्त कर दिया गया था लेकिन पेलू भीरू सिंह को वाराणसी के महाराजा के रूप में जाना जाता है।
किले की रूप रेखा मुगल शैली की वास्तुकला के आधार पर है। रामनगर किला सुबह के 10 बजे से शाम 5 बजे तक खुला रहता है। किले में जाने के लिए प्रति व्यक्ति से 20 रुपए का प्रवेश शुल्क लिया जाता है।
वाराणसी के आसपास में घूमने लायक जगहें (Tourist Places in Varanasi City)
- संत रविदास पार्क
- चौसठ योगिनी मंदिर
- फन सिटी वाटरपार्क
- राजदारी जलप्रपात
- संकट मोचन हनुमान मंदिर
- बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय
वाराणसी घूमने का सबसे अच्छा मौसम - Best Season to Visit Varanasi
वाराणसी के धार्मिक स्थलों का भ्रमण करने के लिए सबसे अच्छा मौसम अक्टूबर से मार्च का महीना रहता है। यदि भीड़भाड़ से बचना चाहते हैं तो राम नवमी, नवरात्रि, होली और दीवाली में जाने से बचना चाहिए। हिंदू त्योहारों के समय वाराणसी के घाट भक्तो से भरे रहते हैं।
गर्मियों में यदि घूमने के लिए जाते हैं तो आपको गर्मी में परेशानी उठानी पड़ सकती है। वैसी आप अपने समय के अनुसार किसी भी मौसम में घूमने की योजना बना सकते हैं। वाराणसी के धार्मिक स्थलों में दर्शन करने के लिए दो दिन और एक रात का समय पर्याप्त होता है।
वाराणसी कैसे पहुंचें (How To Reach Varanasi)
वायुमार्ग (By Air): यदि आप हवाई जहाज से यात्रा करना चाहते है। तो शहर के नजदीक लाल बहादुर शास्त्री अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डा है। जो देश के विभिन्न शहरों से हवाई मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है।
सड़क मार्ग (By Road): अगर आप सड़क मार्ग के द्वारा वाराणसी जाना चाहते हैं। तो आप आसानी से पहुंच सकते हैं। वाराणसी सड़क मार्ग द्वारा भारत के विभिन्न शहर प्रयागराज, लखनऊ, गोरखपुर, पटना, मध्य प्रदेश, भोपाल शहरों के साथ अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
रेल मार्ग (By Train): ट्रेन से सफर करने के लिए वाराणसी रेलवे स्टेशन और काशी रेलवे स्टेशन दो प्रमुख रेलवे स्टेशन में जहा पर रोजाना देश के विभिन्न कोने से नियमित ट्रेन आती जाती रहती हैं।
वाराणसी में रुकने की जगह
वाराणसी में ठहरने के लिए पास में बहुत से होटल और धर्मशाला मिल जायेंगे। जहा पर आप उचित रेट पर ठहर सकते हैं। कुछ धर्मशाला ठहरने के पैसा लेते है और कुछ निशुल्क है। वाराणसी में श्री कृष्ण और श्री माहेश्वरी जैसे प्रसिद्ध धर्मशाला मिल जायेंगे जहां पर आप ठहर सकते हैं। अस्सी घाट के पास ही बहुत से होटल है जहां रूम बुक कर सकते हैं।
वाराणसी में शॉपिंग करने की प्रसिद्ध जगह
- गोदौलिया मार्केट
- दाल मंडी
- चौक
- गोलघर
- विश्वनाथ लेन
वाराणसी का प्रसिद्ध भोजन क्या है?(Famous Food in Varanasi)
लेख को पढ़कर वाराणसी में घूमने की जगह के बारे में जानकारी प्राप्त हो गई होगी। अब आपको बताएंगे की वाराणसी का प्रसिद्ध भोजन क्या है। वाराणसी धार्मिक स्थलों के अलावा स्वादिष्ट भोजन के लिए भी जाना जाता है। वाराणसी धार्मिक स्थल होने के कारण यहां पर आधिकांश होटल या रेस्टोरेंट में शाकाहारी भोजन मिल जायेगा। वाराणसी में चटपटा खाने के लिए चाट, समोसा, कचौड़ी के ठेले दिख जायेंगे। दोपहर और रात्रि का भोजन करने के बहुत से होटल और रेस्टोरेंट धार्मिक स्थल के पास मौजूद हैं।
FAQs
1. वाराणसी में सबसे अच्छा घाट कौन सा है?
वाराणसी का सबसे अच्छा घाट दशाश्वमेध घाट है जो काशी विश्वनाथ मंदिर के नजदीक में स्थित है। यह घाट गंगा नदी के किनारे है। दशाश्वमेध घाट भक्तो से हमेशा भरा रहता है।
2. वाराणसी में क्या क्या है घूमने के लिए?
वाराणसी में घूमने के लिए बहुत से धार्मिक स्थल है जिनमे से कुछ प्रसिद्ध स्थल है काशी विश्वनाथ मंदिर, राम नगर किला, मणिकर्णिका घाट, तुलसी मानस मंदिर, और दशाश्वमेध घाट हैं।
3. वाराणसी में घूमने के लिए कितने दिन काफी हैं?
वाराणसी में घूमने के लिए 3 से 4 दिन पर्याप्त है। लेकिन वाराणसी में इतने धार्मिक स्थल होने के कारण आपको दिन पता ही नही चलेगा।
4. वाराणसी में घूमने कब जाएं?
वाराणसी में घूमने के लिए सही समय अक्टूबर से लेकर मार्च तक रहता है। इस दौरान वाराणसी का मौसम भी सुहावना रहता है।