12+ अजमेर में घूमने की जगह, ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के दर्शन
अरावली पर्वतमाला की तारागढ़ पहाड़ियों की तलहटी में स्थित अजमेर भारत के राजस्थान राज्य का प्रमुख शहर है। भारत का मक्का के नाम से प्रसिद्ध अजमेर में ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर्यटकों का तीर्थ स्थल है। अजमेर में कई प्राचीन स्मारक, झीलें, किले, जैन मंदिर और अनेकों हिंदू मंदिर मौजूद हैं। अजमेर के धार्मिक स्थलों में हिंदू और मुस्लिम वास्तुकला का मिला जुला स्वरूप देखने को मिलता है। देश विदेश से लाखो की संख्या में सभी धर्म के लोग घूमने और छुट्टियां मनाने के लिए जाते हैं। इस लेख में हम आपको जानकारी देंगे की अजमेर में घूमने की जगह (Ajmer Me Ghumne Ki Jagah) कौन सी हैं।
अजमेर में आयोजित किया जाने वाला उर्स त्योहार काफी लोकप्रिय जिसे सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की पुण्यतिथि के अवसर पर मनाया जाता है। उर्स में शामिल होने के लिए देश विदेश से बड़ी तादाद में लोग पहुंचते हैं। उर्स त्योहार के दौरान अजमेर शहर पूरी तरह पर्यटकों और सैलानियों से भर जाता है।
अजमेर में घूमने के लिए धार्मिक स्थलों और प्राकृतिक वातावरण से भरपूर अनेकों प्रसिद्ध पर्यटन स्थल मौजूद हैं। सर्दियों के मौसम में अपने दोस्तों और परिवार के साथ घूमने की योजना बना सकते हैं। घूमने के हिसाब अजमेर एक सस्ता शहर है आप कम बजट में भी अजमेर के पर्यटन स्थलों का भ्रमण कर पाएंगे।
अजमेर में घूमने की जगह | Ajmer Me Ghumne Ki Jagah
अजमेर शहर का परिचय
अजमेर राजस्थान का ऐतिहासिक शहर है इसकी स्थापना सातवी शताब्दी में चौहान राजवंश के शासक अजयराज सिंह ने की थी। जब अजमेर शहर को बसाया गया था तब इसका नाम अजयमेरू रखा गया था। अजयमेरू का मतलब होता है अजेय पहाड़ जिसे कभी जीता नही जा सके।
चौहान राजवंश ने अजमेर में 700 साल तक शासन किया। बाद में मुगल शासकों का अधिपत्य रहा। अजमेर शहर मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है क्योंकि अजमेर में इस्लाम धर्म के अनेकों पवित्र धार्मिक स्थल मौजुद है।
1. ख़्वाजा गरीब नवाज दरगाह शरीफ़
अजमेर शरीफ एक प्रसिद्ध संत मुईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह है जो 12वी शताब्दी के महान फारसी संत थे। उन्होंने भारत में सभी धर्मो को एकता और सद्भाव का संदेश दिया अपने जीवन काल में उन्होंने गरीबों और असहाय लोगों की मदद करते रहते थे।
मोईनुद्दीन चिश्ती की याद में बना मकबरा इस्लाम धर्म के नैतिक मूल्यों और आदर्शो का संदेश देता है। ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती की मजार अजमेर में प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। विश्व भर से हर साल लाखों की संख्या में लोग माथा टेकने के लिए दरगाह में जाते हैं और अपनी मुराद मांगते हैं।
मुराद पूरी हो जाने के बाद दरगाह में चादर चढ़ाते हैं। अजमेर शरीफ सभी धर्म के लोगो का तीर्थ स्थल है। अजमेर शरीफ में जानें के लिए सिर पर कपड़ा डाल कर माथा टेकने की परंपरा है। माथा टेकने जाने से पहले पाक साफ होकर जाना चाहिए। मक्का के बाद भारत में मुस्लिम समुदाय के लोगो का पवित्र तीर्थ स्थल माना जाता है।
साल में एक बार आयोजित होने वाला छह दिवसीय उर्स महोत्सव बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। देश विदेश से बड़ी संख्या में जायरीन पहुंचते हैं। अजमेर शरीफ में सुबह 4 बजे से दोपहर 3 बजे तक खुला रहता है और शाम 4 बजे से रात 10 बजे तक खुला रहता है।
2. अढ़ाई दीन का झोपड़ा
अढ़ाई दीन का झोपड़ा अजमेर में स्थित प्रसिद्ध मस्जिद है जिसका निर्माण 1199 ई. में अफ़गान के सेनापति मुहम्मद गौरी के आदेश पर दिल्ली के प्रथम शासक कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा इंडो स्लामिक वास्तुशैली में करवाया था। स्थानीय लोगों का मत है इस ऐतिहासिक इमारत का निर्माण ढाई दिन में पूरा कर लिया गया था इसी कारण इसे अढ़ाई दीन का झोपड़ा कहते हैं।
बड़े बड़े स्तंभों और धनुषाकार में बने द्वार मस्जिद को आकर्षित बनाते हैं। इतिहासकारों का मत है पहले यह एक संस्कृति विद्यालय हुआ करता था लेकिन मुहम्मद गौरी द्वारा इसे मस्जिद के रूप में तब्दील कर दिया गया। अढ़ाई दीन का झोपड़ा ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह से पास ही स्थित हैं पैदल चलकर पहुंच जा सकता है।
3. अकबारी मस्जिद
अकबरी मस्जिद अजमेर में स्थित एक खुबसूरत मस्जिद है। मस्जिद का निर्माण 1455 ई. में बादशाह अकबर ने अपने दो बेटे जहांगीर और सलीम के जन्म के उपलक्ष्य में करवाया था। यह खूबसूरत मस्जिद मुस्लिम समुदाय के लोगो का पवित्र स्थल है। सफेद और हरे रंग के पत्थरों से मस्जिद का निर्माण किया गया है जो मुगल वास्तुकला का अदभुत चित्रण देखने को मिलता है।
4. अनासागर झील
अनासागर झील अजमेर की 12वी शताब्दी में पृथ्वीराज चौहान के पिता राजा अर्नोराज द्वारा मानव निर्मित झील है। 13 वर्ग किमी के दायरे में फैली झील की खूबसूरती को देखते हुए यह लोगों के बीच अजमेर का पसंदीदा पर्यटन स्थल बन चुका है।
चारो ओर पहाड़ियों से घिरी झील शाम को ढलते सूरज के समय झील की सुंदरता देखने लायक है। ढलते सूरत की लालिमा से झील की मनोरम सुंदरता को देखना अपने आप में अलग ही सुकून प्रदान करता है। झील के बीचों बीच बना खूबसूरत छोटा सा आइलैंड पर्यटकों को काफ़ी आकर्षित करता है।
आइलैंड तक पहुंचने के लिए नाव की सवारी करके पहुंच सकते हैं और झील की खूबसूरती को महसूस कर सकते हैं। झील में नाव की सवारी का बेहतरीन लुफ्त उठाया जा सकता है। वैसे आपको बता दूं गर्मियों के मौसम में अत्यधिक तेज गर्मी पड़ने से यह झील सुख जाती है और वर्षा के जल से झील लहलहा उठती है। झील में पानी की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित रहे जिसके मद्देनजर राजस्थान सरकार द्वारा लगातार प्रयास होते रहते हैं।
5. फोय सागर झील
फॉय सागर झील अना सागर झील के जैसी ही अजमेर की मानव निर्मित झीलों में से एक है। झील का निर्माण सुखा के दौरान पानी की कमी को पूरा करने के उद्देश्य से 1892 ई. में अंग्रेज वास्तुकार फोय ने करवाया था। फॉय सागर झील पानी की उपलब्धता को पूरा करने के साथ ही पर्यटकों द्वारा पिकनिक मनाने के लिए प्रमुख स्थल बन चुकी है। शाम को बच्चों के साथ घूमने लायक बहुत ही उत्तम जगह है। अजमेर रेलवे स्टेशन से ऑटो या टैक्सी की मदद से पहुंच सकते हैं।
6. तारागढ़ किला अजमेर
तारागढ़ किला 1354 में बना अजमेर का प्राचीन किला है जो अपनी उत्कृष्ट बनावट और पत्थरों द्वारा निर्मित जटिल नक्काशी के लिए जाना जाता है। किले का निर्माण अजयपाल चौहान ने करवाया था। किले को बनाने का मुख्य उद्देश्य सैन्य संचालन को आसान बनाने और विदेशी और तुर्को के आक्रमण से बचने के लिए बनवाया गया था।
किले के ऊपर से अजमेर शहर का मनोरम दृश्य देखने को मिलता है। पहाड़ी की खड़ी चढ़ाई पर बने किले में अंदर जाने के लिए तीन द्वार लक्ष्मी पोल, गांगुडी फाटक और फूटा दरवाजा का निर्माण किया गया है। किले में चित्रा महल, बादल महल प्रमुख दर्शनीय स्थल है। जहां बेहतरीन फ़ोटो शूट कर सकते हैं।
प्रारंभ में किला का नाम अजयमेरू दुर्ग था लेकिन सम्राट पृथ्वी राज चौहान द्वारा किले को जीतने के बाद अजयमेरू नाम बदलकर अपनी पत्नी ताराबाई के नाम पर तारागढ़ रख दिया। किले के अंदर दरगाह और पानी की झालरे बनी हुई है। किले की विशालता को देखते हुए इसे राजस्थान का जिब्राल्टर कहा जाता है। सुबह 6 बजे से शाम 8 बजे के बीच यह किला पर्यटकों के लिए खुला रहता है।
7. सोनी जी की नसिया
सोनी जी की नसिया अजमेर में सिद्धकूट चैत्यालय और लाल मंदिर नाम से मशहूर एक 19वी शताब्दी में सेठ मूलचंद सोनी द्वारा निर्मित जैन मंदिर है। यह पवित्र धार्मिक स्थल जैन धर्म के प्रथम तीर्थकर ऋषभदेव जी को समर्पित है। मंदिर का मुख्य कक्ष सोने का बना का बना है जिसे सोने की नगरी कहा जाता है यह एक कांच से पूरी तरह ढका हुआ है।
सोने का नगर होने के कारण पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। मंदिर की सुंदरता बेमिसाल है। रात को चमचमाती रोशनी के बीच किसी स्वर्ण नगरी के स्वरूप प्रतीत होता है। सोनी जी की नसिया अजमेर में पृथ्वीराज मार्ग पर स्थित जैन मंदिर प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है। मंदिर की सुंदरता और वास्तुकला अद्वितीय है जिसे देखने के लिए लाखों की संख्या में पर्यटक जाते हैं।
8. नरेली ज्ञानोदय दिगंबर मंदिर
नरेली ज्ञानोदय दिगंबर एक लोकप्रिय जैन मंदिर है जो अजमेर शहर से 8 किलोमीटर दूर स्थित है। संगमरमर के पत्थरो से निर्मित मंदिर अपनी खुबसूरत जटिल नक्काशी और वास्तुकला के लिए पर्यटकों के बीच लोकप्रिय है। नरेली ज्ञानोदय दिगंबर मंदिर जैन धर्म के तीर्थकारों को समर्पित है। मुख्य मंदिर के आसपास अनेक छोटे जैन मंदिर बने हुए है।
मंदिर में बनी जैन तीर्थंकर आदिनाथ जी की 22 फीट ऊंची मूर्ति आकर्षण का केंद्र है। मंदिर की बनावट और आसपास की सुंदरता को देखने के लिए पर्यटक खींचे चले आते हैं। मंदिर के चारो ओर लगे हरे भरे पेड़ घूमने गए लोगों का मन मोह लेते है। नारेली जैन मंदिर में घूमने के लिए कोई प्रवेश शुल्क नहीं लिया जाता है।
9. महाराणा प्रताप स्मारक
अजमेर में महाराणा प्रताप स्मारक काफी लोकप्रिय स्मारक है। जिसका निर्माण शक्तिशाली योद्धा महाराणा प्रताप की स्मृति में करवाया गया है। स्मारक में बनी काले पत्थर से निर्मित महाराणा प्रताप की विशाल प्रतिमा पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र है। प्रतिमा में महाराणा प्रताप अपने घोड़े चेतक पर विराजमान है। स्मारक चारो ओर हरे भरे पेड़ पौधे से घिरा हुआ है। यह स्मारक अजमेर पुष्कर मार्ग के बीच में स्थित है। महाराणा प्रताप स्मारक से पूरी अजमेर शहर का मनोरम दृश्य देख सकते है।
10. साई बाबा मंदिर
अजमेर के अजय नगर में स्थित शिरडी के साई बाबा का प्रसिद्ध मंदिर है। मंदिर का निर्माण 1999 में सुरेश लाल ने करवाया था। सफेद संगमरमर से निर्मित मंदिर, साई भक्तो का पवित्र स्थल के रूप में लोकप्रिय है। साई बाबा के दर्शन और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए रोजाना हजारों की संख्या में साई भक्त जाते हैं।
11. बिरला सिटी वाटर पार्क
बिरला सिटी वाटर पार्क अजमेर का सबसे प्रसिद्ध खूबसूरत वाटर पार्क है। गर्मियों के मौसम में यह वाटर पार्क पर्यटकों से भर जाता है। चिलचिलाती गर्मी से बचने के लिए वाटर पार्क में स्विमिंग का भरपूर आनंद उठा सकते हैं। पार्क में पानी में मनोरंजन करने के लिए वाटर स्लाइड, रेन डांस, स्विमिंग पूल बने हुए हैं।
छोटे बच्चों के खेलने के लिए कई तरह के झूले, वाटर स्लाइड बनाए गए हैं। पानी में मनोरंजन करने बाद स्थानीय भोजन का स्वाद ले सकते हैं। वाटर पार्क सप्ताह के सभी दिन सुबह 11 बजे से शाम 7 बजे तक खुला रहता है। वाटर पार्क में मनोरंजन करने के लिए प्रवेश शुल्क लिया जाता है।
अन्य अजमेर में घूमने की जगह
- ब्रह्मा मंदिर पुष्कर
- पुष्कर झील
- किशनगढ़ किला
- विक्टोरिया जुबली क्लॉक टॉवर
- चामुंडा देवी मंदिर
- मायो विद्यालय का संग्रहालय
- दौलत बाग
अजमेर घूमने का सबसे अच्छा मौसम (Best Season To Visit Ajmer)
अजमेर में घूमने लायक सुखद मौसम की बात की जाए तो सितंबर से मार्च महीनों के बीच घूमने के लिए अनुकूल मौसम रहता है। सितंबर से मार्च तक अजमेर में तापमान 20 डिग्री से 25 डिग्री तक रहता है। बाकी आप साल में किसी भी मौसम में अजमेर घूमने का प्लान बना सकते है। अजमेर में अप्रैल से जून तक काफी तेज गर्मी पड़ती है जिसकी वजह से गर्म थपेड़ों वाली लू चलती है। ग्रीष्म काल में गर्मी की वजह से घूमने में ज्यादा आनंद नहीं मिलता।
अजमेर कैसे पहुंचे (Ajmer Trip)
अजमेर राजस्थान राज्य का प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक शहर है। अजमेर पहुंचने के लिए आपको वायुमार्ग, ट्रेन मार्ग, सड़क मार्ग सभी साधन उपलब्ध हैं। आप अपनी सुविधानुसार किसी भी साधन का चुनाव कर सकते हैं। यदि आप अजमेर घूमने के लिए जाते हैं तो हिंदुओ के धार्मिक स्थल के लिए प्रसिद्ध पुष्कर में घूमने जा सकते हैं। अजमेर से पुष्कर 15 किमी दूर है। पुष्कर में भारत का इकलौता भगवान ब्रह्मा का मंदिर है जो पुष्कर को लोकप्रिय बनाता है।
ट्रेन द्वारा अजमेर कैसे पहुंचे (Ajmer Railway Station)
अजमेर पहुंचने के लिए ट्रेन सबसे सुलभ साधन है। अजमेर दिल्ली अहमदाबाद मार्ग पर स्थित है। दिल्ली से चलने वाली 14311- आला हजरत ट्रेन से आसानी से पहुंचा जा सकता है। नई दिल्ली और पुरानी दिल्ली से अनेकों ट्रेन अजमेर के लिए चलती हैं। ट्रेन द्वारा मुंबई, जयपुर, अहमदाबाद से आराम से पहुंच सकते हैं।
सड़क मार्ग से अजमेर कैसे पहुंचे
अजमेर सड़क मार्ग द्वारा पहुंचने के लिए बस, जीप, कार मुख्य साधन हैं। इसके अलावा अपने निजी वाहन द्वारा राष्ट्रीय राजमार्ग 8 के रास्ते जयपुर होते हुए अजमेर पहुंच सकते हैं। जयपुर से अजमेर के लिए राजस्थान राज्य सरकार परिवहन की बसे नियमित रूप से चलती रहती हैं। निजी कंपनियों द्वारा भी एसी और नॉन एसी बस चलती रहती हैं।
अजमेर हवाई जहाज से कैसे पहुंचे
यदि आप अजमेर घूमने का प्लान बना रहे हैं और हवाई जहाज द्वारा पहुंचना चाहते हैं तो आपको बता दें अजमेर के सबसे निकट 135 किमी दूर जयपुर में स्थित सांगानेर एयरपोर्ट है। जयपुर का एयरपोर्ट मुंबई, अहमदाबाद, दिल्ली से सीधा वायुमार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। अपने शहर से वायुमार्ग द्वारा जयपुर पहुंचकर सड़क मार्ग के रास्ते बस, टैक्सी की सहायता से 3 से 4 घंटे में अजमेर पहुंच सकते हैं।
अजमेर कितने किलोमीटर है
दिल्ली - 472 किमी
जयपुर - 135 किमी
उदयपुर - 280 किमी
पुष्कर - 15 किमी
जैसलमेर - 465 किमी
अजमेर में रुकने की सबसे अच्छी जगह
अजमेर में घूमने के लिए जाते हैं तो आपको बहुत से होटल और रिसॉर्ट में रुकने के लिए कम बजट से लेकर महंगे रूम मिल जायेंगे। उर्स त्योहार के दौरान अजमेर में होटल का किराया महंगा हो जाता है। अजमेर में ठहरने के लिए अजमेर रेलवे स्टेशन के आसपास 500 से 1500 रूपए के बीच बहुत होटल मिल जायेंगे।
FAQs
1. अजमेर कहां है?
अजमेर भारत के राजस्थान राज्य में अरावली पर्वतमाला की तारागढ़ पहाड़ियों की तलहटी में बसा एक ऐतिहासिक और धार्मिक शहर है।
2. अजमेर की स्थापना किसने की थी?
अजमेर शहर की स्थापना 7वी शताब्दी में चौहान राजवंश के शासक अजयराज सिंह प्रथम ने की थी।
3. अजमेर जिला कब बना?
अजमेर का प्राचीन नाम अजयमेरू था। अजमेर को नवंबर 1956 में राजस्थान राज्य का 26वा जिला बनाया गया।
4. अजमेर में किस संत की दरगाह है?
अजमेर में फ़ारसी सूफ़ी संत ख़्वाजा मुईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह है। दरगाह में सभी धर्म के लोग माथा टेकने के लिए जाते हैं।
5. अजमेर में क्या प्रसिद्ध है?
अजमेर भारत में सबसे ज्यादा ख़्वाजा मुईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह के लिए प्रसिद्ध है। दरगाह में माथा टेकने के लिए देश विदेश से बड़ी बड़ी हस्तियां आती है। लोगों की मुराद पूरी हो जाने के बाद चादर चढ़ाते हैं।